In this plan of Airtel, life insurance free of 4 lakh rupees

In this plan of Airtel, life insurance free of 4 lakh rupees

Airtel के इस प्लान में मिलेगा 4 लाख रुपये का लाइफ इंश्योरेंस Free - In this plan of Airtel, life insurance free of 4 lakh rupees will be found

In this plan of Airtel, life insurance free of 4 lakh rupees
In this plan of Airtel, life insurance free of 4 lakh rupees 


टेलिकॉम कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए आय द‍िन नए प्लान लेकर आ रही हैं। कंपनियां ज्यादा-से-ज्यादा यूजर्स को जोड़ने के लिए एक से बढ़कर एक प्लान पेश कर रही हैं। ये बात सच है कि सभी के प्लान में डेटा और फ्री कॉलिंग का फायदा मिलता है, लेकिन एयरटेल अपने यूजर्स को डेली डेटा और ट्रू अनलिमिटेड कॉलिंग के अलावा और भी कई स्पेशल बेनिफिट दे रहा है। एयरटेल के प्लान में मिलने वाले ये अडिशनल बेनिफिट काफी यूनीक हैं क्योंकि दूसरी कंपनियों के प्लान में ये नहीं मिलते। तो चलिए जानते हैं प्‍लान के बारे में




एयरटेल के इस प्लान में मिलेगा 2 लाख रुपये का लाइफ इंश्योरेंस एयरटेल अपने 179 रुपये और 279 रुपये वाले प्लान में लाइफ इंश्योरेंस कवर ऑफर कर रहा है। 179 रुपये वाले प्लान में भारती एक्सा लाइफ की तरफ से 2 लाख रुपये का लाइफ इंश्योरेंस मिलता है। प्लान में मिलने वाले बेसिक बेनिफिट्स की बात करें तो इसमें आपको किसी भी नेटवर्क के लिए अनलिमिटेड कॉलिंग, 2जीबी डेटा और 300 फ्री एसएमएस मिल जाता है। इसके अलावा इस प्लान के सब्सक्राइबर अनलिमिटेड हेलो ट्यून्स और विंक म्यूजिक को फ्री में ऐक्सेस कर सकेंगे।



एयरटेल के इस प्‍लान में एचडीएफसी लाइफ की तरफ से 4 लाख रु इंश्योरेंस 



जबकि अगर एयरटेल की 279 रुपये वाले प्लान की करें तो इसमें एचडीएफसी लाइफ की तरफ से 4 लाख रुपये का लाइफ इंश्योरेंस दिया जा रहा है। प्लान में रोज 1.5जीबी डेटा और 100 फ्री एसएमएस के साथ ट्रू अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग मिलती है। प्लान की एक और खास बात है कि इसमें एयरटेल एक्सट्रीम ऐप का फ्री सब्सक्रिप्शन दिया जा रहा है। वैलिडिटी की बात करें तो एयरटेल के ये दोनों प्लान 28 दिन तक चलते हैं



एयरटेल इस प्लान में अमेजन प्राइम फ्री एयरटेल



अपने 349 रुपये वाले प्लान में एक महीने के लिए अमेजन प्राइम का फ्री सब्सक्रिप्शन ऑफर कर रही है। इसके अलावा प्लान में एयरटेल एक्सट्रीम ऐप प्रीमियम और विंक म्यूजिक की भी मेंबरशिप मिलती है। प्लान के सब्सक्राइबर्स को FASTag की खरीद पर 150 रुपये का कैशबैक भी मिलता है। 28 दिन की वैलिडिटी के साथ आने वाले इस प्लान में यूजर्स को रोज 2जीबी डेटा दिया जा रहा है। डेली 100 फ्री एसएमएस ऑफर करने वाले इस प्लान में किसी भी नेटवर्क के लिए अनलिमिटेड कॉलिंग मिलती है।



एयरटेल के इस प्‍लान में मिलेगा फ्री हॉटस्टार बात करें हाल हुए में लॉन्च 



एयरटेल के 401 रुपये वाले प्‍लान के बारें में तो एयरटेल इसमें डेटा पैक में Disney+ Hotstar की वीआईपी मेंबरशिप फ्री में मिलती है। 3जीबी डेटा के साथ आने वाले इस प्लान की वैलिडिटी 28 दिन है। हालांकि, प्लान में डिज्नी+ हॉटस्टार का फ्री सब्सक्रिप्शन 365 दिन के लिए मिलता है। प्लान एक डेटा पैक है इसलिए इसमें आपको कॉलिंग या फ्री एसएमएस का फायदा नहीं मिलेगा।




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Airtel offers special offer for new broadband users

Airtel offers special offer for new broadband users

Airtel ने नए ब्रॉडबैंड यूजर्स के लिए पेश किया खास ऑफर - Airtel offers special offer for new broadband users



एयरटेल ज्यादा-से-ज्यादा ग्राहकों को लुभाने के लिए आए द‍िन नए-नए ऑफर पेश करती आई है। इस कड़ी में अब कंपनी ने एक और खास ऑफर पेश किया है, जिसमें उपभोक्ताओं को मुफ्त में इंस्टॉलेशन की सेवा और लॉन्ग-टर्म ब्रॉडबैंड प्लान पर 15 फीसदी का डिस्काउंट मिलेगा। यह डिस्काउंट एयरटेल एक्सट्रीम ब्रॉडबैंड प्लान पर दिया जाएगा। इसमें 799 रुपये से लेकर 3,999 रुपये तक के प्लान शामिल हैं।

एयरटेल ने कोरोनावायरस लॉकडाउन के बीच अपनी ब्रॉडबैंड इंस्टालेशन सर्विस को फिर से शुरू कर दिया है। मालूम हो कि सरकार द्वारा इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को जरूरी सामानों की सूची में रखा गया है, जिसके तहत 20 अप्रैल के बाद से कंपनी ने अपनी इंस्टालेशन को शुरू कर दी है। कंपनी ने अपने एयरटेल एक्सट्रीम फाइबर के नए यूजर्स के लिए ऑपर पेश किया है। बता दें कि इस ऑफर के बारे में जानकारी कंपनी के आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।

एयरटेल के इस प्‍लान में म‍िलेगा 15 प्रतिशत तक का डिस्काउंट एयरटेल एक्सट्रीम ब्रॉडबैंड प्लान के तहत कंपनी के पास 4 प्लान्स अब नया कनेक्शन लेने वाले यूजर्स को इंस्टॉलेशन में 15 प्रतिशत का डिस्काउंट ऑफर किया जा रहा है। हालांकि, कंपनी का ये ऑफर उन यूजर्स के लिए है जो लॉन्ग टर्म प्लान ले रहे हैं। एयरटेल एक्सट्रीम फाइबर का मंथली प्लान 799 रुपये से शुरू होकर 3,999 रुपये तक की कीमत में उपलब्ध है। कंपनी के ये चार प्लान्स 799 रुपये, 999 रुपये, 1,499 रुपये और 3,999 रुपये में उपलब्ध हैं। लॉन्ग टर्म प्लान के तहत यूजर्स तीन महीने, 6 महीने या फिर सालाना प्लान में से किसी एक प्लान का चुनाव कर सकते हैं। इन प्लान्स के साथ यूजर्स को 15 प्रतिशत का डिस्काउंट ऑफर किया जाएगा।

एयरटेल एक्सट्रीम 799 रुपये वाला प्‍लान 



799 रुपये वाले प्लान में यूजर्स को 100Mbps की स्पीड से 150GB डाटा ऑफर किया जाता है। इसके साथ ही, इसमें यूजर्स को अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग ऑफर की जाती है। इसके अलावा कम्प्लीमेंटरी पैक के तौर पर एयरटेल एक्सट्रीम टीवी का सब्सक्रिप्शन भी दिया जाता है। 

एयरटेल एक्सट्रीम 999 रुपये वाला प्‍लान 


वहीं, 999 रुपये वाले एंटरटेनमेंट प्लान में यूजर्स को 200Mbps की स्पीड से 300GB डाटा ऑफर किया जाता है। इसमें भी यूजर्स को अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग ऑफर की जाती है। इस प्लान के साथ यूजर्स को एयरटेल एक्सट्रीम टीवी के साथ-साथ अमेज़न प्राइम और ज़ी5 प्रीमियम का भी मंथली सब्सक्रिप्शन ऑफर किया जाता है। 

एयरटेल एक्सट्रीम 1499 रुपये वाला प्‍लान


 एयरटेल एक्सट्रीम 1499 रुपये वाले प्रीमियम ब्रॉडबैंड प्लान के साथ यूजर्स को 300Mbps की स्पीड से 500GB डाटा ऑफर किया जात है। इसमें भी यूजर्स को अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग ऑफर की जाती है। इस प्लान के साथ भी यूजर्स को एयरटेल एक्सट्रीम टीवी के साथ-साथ अमेज़न प्राइम और ज़ी5 प्रीमियम का भी मंथली सब्सक्रिप्शन ऑफर किया जाता है। 


एयरटेल एक्सट्रीम 3999 रुपये वाला प्‍लान 



बात करें सबसे महंगे प्‍लान जि‍सकी कीमत 3999 रुपये है। इस प्लान के साथ में भी यही बेनिफिट्स 1Gbps की स्पीड से ऑफर की जाती है। इसके अनलिमिटेड लोकल और एसटीडी कॉलिंग के अलावा अमेजन प्राइम, ज़ी5 और एयरटेल एक्सट्रीम का एक्सेस मिलेगा।


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मन को वश में कैसे करें स्वेट मार्टिन के विचार | How to Control Your Mind by Swet Martin

मन को वश में कैसे करें स्वेट मार्टिन के विचार | How to Control Your Mind by Swet Martin

मन को वश में कैसे करें स्वेट मार्टिन के विचार | How to Control Your Mind by Swet Martin


जो व्यक्ति सही ढंग से विचार करते हैं जिन्हें कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध हो चुका है जिन्होंने अपने मन की वृत्तियों को संयत करके अपने वश में कर लिया है दूसरे लोग उनके सहायक भी हो जाते हैं और परिस्थितियां भी उनके अनुकूल हो जाते हैं ।
 किसी विद्वान से पूछा- चरित्रवान कौन है 
जब उस विद्वान ने कहा "चरित्रवान वह है जिसे यह मालूम है कि वह क्या चाहता है तथा जो मन के कहने में आकर भावनाओं में नहीं रह जाता बल्कि वह हर परिस्थिति में निश्चित सिद्धांतों के अनुरूप ही व्यवहार करता है ।" 
उस विद्वान ने चरित्र की जो परिभाषा बताई है वह वास्तव में सत्य है ।

जिस समय आप पर कोई संकट आ पड़े । तब प्रत्येक वस्तु और प्रत्येक व्यक्ति आपको अपने विरोध को ज्यादा दिखाई देता है । जब चारों तरफ संकट के बादल छाए हो और अंधकार ही अंधकार दिखाई दे रहा हो । वो समय आपके चरित्र और आत्मविश्वास की परीक्षा का समय है । उस समय यदि आपका अपने मन पर पूरा नियंत्रण है और इच्छाशक्ति दृढ़ है । फौलाद जैसी दृढ़ता है । तो सभी चिंताओं को चुटकियों में समाधान हो जाएगा ।

शक्तिशाली मनुष्य वह नहीं होता जो की शक्ति का प्रदर्शन करता है । बल्कि शक्तिशाली वह होता है जो अपनी परिस्थितियों के कारण अपनी योग्यता, कार्य करने की शक्ति, सफलता की क्षमता और प्रत्यक्ष रूप से प्रकट करने को दिखा सकता है । सबसे शक्तिशाली वह होता है जो ऐसे कठिन समय में भी अपने चरित्र पर कसौटी पर खरा उतरता है । 

           जब आप सुबह सो कर उठते हैं और आपको ऐसा लगता है कि कुछ अप्रिय घटने वाला है तो उस समय आप कमर कसकर दृढ़ निश्चय कर लीजिए कि चाहे कुछ भी हो, जाए आज आपका दिन तो आनंद और उल्लास से भर कर रहेगा । तो कोई भी वैग्निया फिर बाधा आपको विचलित नहीं कर सकेगी । इसका परिणाम यह होगा कि आने वाली असफलता और संकट आपके पास नहीं आएंगे । आपका वह दिन बेकार में खराब नहीं होगा । आप खुद को देखेंगे कि निराशावादी विचारों के कारण निराशा में फंसकर आप जितना काम कर पाते उससे दोगुना काम अवश्य कर पाएंगे ।

यदि आप सफलता प्राप्त करने के लिए अपनी भावनाओं और इच्छा शक्ति को प्रबल बनाना चाहते हैं, तो कुछ बातों को अपने पास भटकने ना दें जैसे कि 

  1. क्रोध 
  2. चिड़चिड़ापन 
  3. ईर्ष्या 
  4. निराशा 
  5. मानसिक खिन्नता और 
  6. चिंता


    डॉक्टर जॉन शिंडलर और शिकागो विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के प्रोफेसर रॉबर्ट जे हैविघहर्स्ट जिन्होंने "100 साल तक खुशी से कैसे जिए" नामक पुस्तक मिलकर लिखी है । उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया है कि 35 से 50% लोग इसलिए रोगी हो जाते हैं, क्योंकि वह प्रसन्न नहीं रहते । डॉक्टर शिंडलर ने अपनी पुस्तक "वर्ष में 365 दिन कैसे जिए " उसमें स्वस्थ रहने के लिए प्रसन्नता पूर्वक विचार के महत्व पर प्रकाश डाला है । उन्होंने रोगियों को सुझाव दिया है, कि वह दिन में कुछ क्षणों के लिए अपनी बीमारी, चिंता आदि सब भूलकर केवल खुशी के विचारों में खो जाए और फिर देखिए कि वह कितनी जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं । 

मन की शक्तियों को नष्ट करने वाले यह नकारात्मक भाव देत्य के समान होते हैं । 


शरीर के अनेक अंगों की में घातक विश पैदा होने लगता है । नड नाडियों में तनाव उत्पन्न हो कर उसमें अकडन पैदा होती है । आपको दृढ़ निश्चय कर लेना चाहिए, कि आप क्रोध चिड़चिड़ापन ईष्या को भयंकर शत्रु समझ कर अपने जीवन से बाहर निकाल देंगे । 
        
        जो व्यक्ति इस प्रकार इन पर विजय प्राप्त कर सकता है  । वह अपनी इच्छा शक्ति को इतना जरूर बना सकता है कि वह अपने सामान्य कार्य सहज में ही संपन्न कर लेते हैं ।

         एक महिला काफी निराश रहती थी । पर जब वह किसी विद्वान के संपर्क में आई, तो उससे प्रेरणा पाकर उसने जीने की एक अलग ही शैली बना ली । अपने जीवन को जिंदादिली से जीने के लिए सबसे पहला और आश्चर्यजनक कार्य उसने यह किया, कि अपने मन को जीवंत विचारों से भर लिया । जिसके फलस्वरूप उसमें उत्साह उत्पन्न हुआ और वह एक बार फिर अपने आप को जीवंत से जीवन से भरा महसूस करने लगी । 

      किसी भी कारण से अगर आपका मन खिन्न हो जाए प्रसंता प्राप्त करने के लिए खूब हंसिये और मुस्कुराइए  ।जोर जोर से खिल खिला कर हंसने का कोशिश कीजिए । हंसी खुशी की बातें कीजिए । ऐसे लोगों के संपर्क बनाईये जो न केवल खुद ही खुश रहते हो, बल्कि ऐसी बातें भी करते हैं जो दूसरों की प्रसन्नता प्रदान करते हैं । आपके मन में यह दृढ़ विश्वास होना चाहिए, कि जब घनघोर घटा छाई होती है घने बादल सूर्य के प्रकाश को ढक लेते हैं । तब भी सूर्य अपने प्रचंड तेज से चमकता ही रहता है । पर उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ना ही वह अपनी तेज खो देता है ।

      मैंने एक बार बहुत ही खुश रहने वाली महिला को देखा । उसने मुझे बताया कि पहले वह निराश और बहुत ज्यादा उदास रहती थी । पर अभ्यास के द्वारा इस तरह से घातक विचारों को उसने हरा दिया । उसने ऐसे उपाय अपनाएं कि जब भी उसके मन में निराशा होने लगती थी । वह ऐसे विचारों को जागृत कर लेती थी, कि खुश हो जाए ऐसे गीत गाने लगी थी जो उसे बहुत ज्यादा भाते थे । इससे असर यह हुआ कि वह निराशाजनक दौर से बाहर निकल आई । 

 रदरफोर्ड ने कहा है कि 
"आलस्य का एक मात्र इलाज काम करना है निरंतर काम करना ।"
"स्वार्थ भावना का इलाज है त्याग ।"
"आत्विश्वास का इलाज है दृढ़ विश्वास" 
"कायरता का इलाज है जोखिम भरे काम का बीड़ा उठाना और तन मन धन से उस में जुट जाना ।"

      हम बुरी भावनाओं का प्रतिरोध मन में अच्छी भावना ही जगह पर ही कर सकते हैं । अगर आपके मन में या फिर मस्तिष्क में अच्छी भावनाएं भर जाएंगे तो बुरी भावनाएं वहां घुस नहीं पाएंगे । आपकी कल्पना शक्ति किसी अप्रिय विचार को हटाकर उसकी जगह पर कोई सुंदर विचार स्थापित करने में सहायक होती है । 

प्रसंता देने वाले विचारों का ही बार-बार मनन करिए । अपने मन में यह विश्वास सुदृढ़ कर लीजिए कि आपका भविष्य बहुत ही आशावादी, उज्जवल और सफल है । नकारात्मक विचार सकारात्मक विचार के उज्जवल प्रकाश में कभी नहीं टिक पाते । जिस तरह से सूर्य का प्रकाश होते ही अंधकार खुद ही नष्ट हो जाता है । नकारात्मक भावनाएं पराजित हो जाती है ।

      जो मनुष्य प्रातकाल उठकर मूड़ की बात सोचता है । वह चाहे कितना ही कौशल कार्यकर्ता क्यों ना हो, वह बहुत ज्यादा सराहनीय काम कभी नहीं कर सकता । क्योंकि वह तो मूड का गुलाम है । जो प्रातः काल उठते ही सर्दी अथवा गर्मी को नापने लगता है । और देखने लगता है कि पारा चढ रहा है या उतर रहा है वह भी गुलाम ही है । वह कभी सफलता और प्रसन्नता प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकता । इसके विपरीत जो व्यक्ति प्रातः काल उठते ही यह दृढ़ इच्छा शक्ति प्रबल बना लेता है, और विश्वास को दृढ़ रखता है । वह परिस्थिति को नही देखता है बस परिश्रम से काम करता है । उसे कुछ और ही विचार कभी नहीं घेर पाते । उसकी सफलता को कोई नहीं रोक सकता ।

      जब मनुष्य अपने मस्तिष्क विचारों को वश में कर लेता है तभी उन सभी व्यक्तियों से ईर्ष्या करना छोड़ देता है । जिनके महान कार्यों को देख कर कोई पहले कभी चकित हो जाया करता था । क्योंकि तब तक उसमें भी उन सब महान और जटिल कार्यों को करने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है । यानि की उसमे स्वयं शक्तियों का इतना अपूर्व भंडार जमा हो जाता है कि वह शांत होकर आत्मविश्वास से भरपूर रहता हुआ निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता चला जाता है ।  

    जो व्यक्ति सही ढंग से विचार करते हैं जिन्हें कर्तव्य और आकर्तव्य की विवेक बुद्धि प्राप्त हो चुकी है । जिन्होंने अपने मन की इच्छा को संयत करके अपने वश में कर लिया है । दूसरे लोग भी उनके सहायक हो जाते हैं परिस्थितियां भी उनके अनुकूल हो जाते हैं । ऐसे व्यक्तियों के लिए असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं । दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बनकर निसंदेह हम भी ऐसे ही बन सकते हैं । 
        कहने का तात्पर्य यह है कि यदि अपने मन को काबू में कर के दृढ़ इच्छाशक्ति से हम छोटी मोटी बाधाओं को पूरा करके कार्य करने की विधि बना ले तो हम दुनिया में सफल और महान व्यक्ति बन सकते हैं ।

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भारत में परमाणु हमले का बटन किसके पास होता है? In India Who has Access to Nuclear Button

भारत में परमाणु हमले का बटन किसके पास होता है? In India Who has Access to Nuclear Button

उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच परमाणु बटन की धमकियों से इस प्रश्न का जन्म हुआ कि क्या भारत के प्रधानमन्त्री की टेबल पर भी परमाणु बटन होता है और क्या परमाणु हमला सिर्फ चुटकी बजाते ही किया जा सकता है.
आइये इस लेख में जानते हैं कि परमाणु हमले के लिए किस प्रकार की प्रक्रिया अपनायी जाती है और इसमें कितना समय लगता है.
परमाणु मामलों के विशषज्ञों के अनुसार, प्रधानमंत्री की टेबल पर ऐसा कोई बटन परमाणु बटन नही होता है जिसे दबाकर किसी भी देश पर परमाणु हमला किया जा सके. लेकिन प्रधानमन्त्री के पास एक स्मार्ट कोड जरूर होता है जिसके बिना परमाणु बम को छोड़ा नही जा सकता है. यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि किसी देश पर परमाणु हमले के लिए एक पूरा प्रोसीजर होता है. ऐसा बिलकुल नही है कि प्रधानमन्त्री ने कहा कि किसी देश पर परमाणु हमला कर दो और वैज्ञानिकों ने तुरंत हमला कर दिया.
परमाणु हमले का आदेश कौन दे सकता है?
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि परमाणु बम छोड़ने के लिए प्रधानमन्त्री के पास सिर्फ एक स्मार्ट कोड होता है. परमाणु बम को दागने का असली बटन तो परमाणु कमांड की सबसे निचली कड़ी या टीम के पास होता है जिसे वाकई में यह मिसाइल दागनी होती है.
यह भी सच है कि भारत में परमाणु हमला करने के निर्णय सिर्फ प्रधानमन्त्री के पास होता है. हालाँकि प्रधानमन्त्री  अकेले निर्णय नही ले सकता है, उसे परिस्थितियों के अनुसार अपनी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, चेयरमैन ऑफ़ चीफ ऑफ़ स्टाफ कमेटी से राय लेकर ही परमाणु हमला करने का निर्णय ले सकता है.

रमाणु हमला करने की पूरी प्रक्रिया क्या है?
चरण 1. परमाणु ब्रीफकेस
प्रधानमन्त्री के साथ हमेशा एक सिक्यूरिटी गार्ड चलता है जिसके पास एक ब्रीफकेस जैसा बॉक्स होता है इसे परमाणु ब्रीफकेस कहा जाता है. इसका वजन लगभग 20 किलो होता है. इसमें कंप्यूटर और रेडियो ट्रांसमिशन उपकरण आदि सामान होता है और यह बुलेट प्रूफ भी होता है. इस ब्रीफकेस में उन ठिकानों की जानकारी भी होती हैं जहाँ पर परमाणु हमला करना होता है. अभी तक लगभग 5000 ठिकानों की पहचान की जा चुकी है और समय-समय पर इनकी समीक्षा करके इसमें नए ठिकानों को जोड़ा जाता है.
चरण 2. स्मार्ट कोड
प्रधानमंत्री के पास एक स्मार्ट कोड होता है. यह कोड परमाणु हमला करने के लिए वेरिफिकेशन कोड के रूप में परमाणु कमांड को भेजा जाता है. भारत में प्रधानमन्त्री के पास यह अधिकार होता है कि वह इस कोड का नाम अपने मन मुताबिक रख सके.
चरण 3. दो अन्य सेफ कोड
प्रधानमन्त्री के स्मार्ट कोड के अलावा दो अन्य कोड होते हैं, जो कि लॉकर में बंद होते हैं और ये कहाँ रखे हैं इन्हें हर कोई नही जानता है. सेना में परमाणु बैटरी यूनिट वायुसेना के कमांडिंग ऑफिसर से साथ दो अन्य अधिकारी होते हैं इनके पास अलग - अलग  लॉकर होते हैं. इन्हें सेफ कोड कहते हैं. ये सेफ कहाँ रखे गए हैं इसका पता सिर्फ कुछ अफसरों को ही होता है. इन सेफ़ों को रखने की जगह को समय समय पर बदल दिया जाता है.
चरण 4. मैच कोड या परमाणु हमले की तैयारी
प्रधानमन्त्री का स्मार्ट कोड मिलने के बाद कमांडिंग ऑफिसर दोनों साथी अधिकारियों को यह कोड बताता है जो अपने-अपने सेफ कोड खोलकर उसका मिलान करते हैं. यदि तीनों कोड सही पाए जाते हैं तो परमाणु हमला कर दिया जाता है

क्या प्रधानमन्त्री का स्मार्ट कोड मिलने के बाद तुरंत हमला हो जाता है?
नही ऐसा नही होता है. क्योंकि हवाई हमले के लिए लड़ाकू विमान को तैयार करना या थल सेना बैटरियों और नौसेना द्वारा मिसाइलों को दागने की तैयारी में 35 से 40 मिनट तक का समय लग सकता है.
देश का रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन (DRDO), पानी के भीतर परमाणु पनडुब्बी में नेटवर्क, परमाणु हमला करने के सक्षम वायुयानों और हवाई अड्डों पर कंप्यूटर और नेटवर्क से सम्बंधित पूरी जिम्मेदारी संभालता है. 
उम्मीद है कि इस लेख को पढने के बाद अब आपको पता चल गया होगा कि किसी देश पर परमाणु हमला सिर्फ चुटकी बजाते नही किया जा सकता है. इसके लिए पूरी प्रक्रिया अपनाई जाती है, अधिकारियों के साथ सामंजस्य बैठाया जाता है और तकनीकी तैयारी भी करनी पड़ती है.
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बोर्ड रिज़ल्ट आने तक कैसे बचें उसके तनाव से | How to Deal With Stress Over Exam Results

बोर्ड रिज़ल्ट आने तक कैसे बचें उसके तनाव से | How to Deal With Stress Over Exam Results

How to deal with stress over exam results

एग्जाम का टाइम एक ऐसा समय होता है, जब छात्रों के साथ-साथ अभिभावक भी परीक्षा का दबाव महसूस करने लगते हैं. अक्सर बच्चों को सबसे आगे देखने या कॉम्पिटिशन करने के चक्कर में अभिभावक बच्चों पर तनाव देना शुरू करने लगते हैं. परीक्षा के समय कॉम्पिटिशन की यह भावना कुछ हद तक अच्छी हो सकती है परन्तु हद पार होने पर यह पेरेंट्स और उनके बच्चों के लिए तनाव का कारण बन जाती है. विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ हद तक अभिभावक जाने-अनजाने बच्चों पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव बनाते हैं, जिसकी वजह से वे तनाव का शिकार हो जाते हैं. अब समय जागरूक होने और यह जानने का है कि अभिभावक बोर्ड रिज़ल्ट आने से पहले बच्चों के तनाव कम करने में कैसे सहायता कर सकते हैं.
  • जब परिक्षा के परिणाम आने वाले हों तो अभिभावकों को चाहिये कि वे बच्चे के साथ नरमी बरतें. उसके साथ खड़े हों और कहें कि किसी भी परीक्षा का परिणाम जिंदगी से बड़ा नहीं होता है, हमेशा आगे के बारे में सोचने के लिए परोत्साहित करें। अपने बच्चे को समझाएं की ऐसे रास्तों के बारे में सोचो, जो तुम्हें बेहतर कल की ओर ले जायें। क्योंकि अगर परिणाम खराब भी आए तो जितना समय तुम खराब परिणाम से दुखी, निराशा तथा अवसाद को हावी होने देने में व्यर्थ करोगे, उतने समय में तुम आगे बहुत कुछ बेहतर कर सकते हो. हार के बाद भी जीत संभव है, बशर्ते अगर आप अपनी गलतियों को सुधार कर आगे बढ़ने की कोशिश करें.
  • इस साल के दसवीं-बारहवीं के रिजल्ट के साथ ही साथ आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश परीक्षाओं के परिणाम भी आने शुरू हो जायेंगे. ऐसे में ज़रूरी है कि अभिभावक हर हाल में अपने बच्चे के साथ खड़े रहें। बच्चे को रिजल्ट अच्छा न आने पर डांट कर demotivate करने की बजाय, इसके कारण को जानने की कोशिश करें और बच्चे को मोटिवेट करें और भावनात्मक सहारा दें.
  • बच्चो पर अच्छे नंबर लाने का दबाव कभी न बनाये: एग्जाम के समय पहले से ही बच्चे के मन में यह तनाव रहता है कि उसे अच्छे नंबर से पास होना है. ऐसे में यदि अभिभावक भी बच्चों पर अच्छे नंबर लाने का प्रेशर देते रहें तो इस परिस्तिथि में बच्चे तनाव में आ ही जाते है. इसीलिए अभिभावकों को अपने बच्चों पर अपनी मर्जी नहीं थोपनी चाहिए.
  • आशावादी सोच अपनाये: आशावादी सोच हमारे अन्दर एक नयी स्फूर्ति पैदा करती है इसलिए एग्जाम से पहले अपने रिज़ल्ट के बारे में अच्छा सोचें और उसे एन्जॉय करे.
  • सकारात्मक सोच रखें: परीक्षा के समय पर Positive Thinking रखना बहुत ही आवश्यक होता है. अगर हम अच्छा सोचते है तो अच्छा होता है और वही बुरा सोचते है तो बुरा होता है. इसलिए पॉजिटिव सोच रखना बहुत जरुरी है. यह आपको Negative Thoughts से तो बचाएगा ही साथ ही साथ आपको तनाव से भी दूर रखेगा.
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पढ़ाई में कैसे मन लगाएं | Tip For Study- How to Get Motivated to Study

 पढ़ाई में कैसे मन लगाएं | Tip For Study- How to Get Motivated to Study
Tips To Improve Your Study MotivationUP Board कक्षा 10वीं तथा 12वीं के एग्जाम ख़तम हो चुकें हैं. कक्षा 10वीं के छात्र अब 11वीं कक्षा में जाएंगे तो 12वीं के छात्र कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में जाएंगे. अक्सर छात्र एग्जाम के बाद जब एक कक्षा आगे बढ़ते हैं तो उनके मन में एक विचार ज़रूर आता है कि इस बार और अच्छी तरह पढ़ाई करेंगे या शुरू से ही अपने पढ़ाई पर पूरा ध्यान रखेंगे. ठीक इसी प्रकार कुछ ऐसे भी छात्र हैं जो इस दुविधा में होते हैं कि वह अब अपने न्यू सेशन में पढ़ाई में कैसे मन लगाएं?
दरअसल कुछ ऐसे भी छात्र हैं जिनको पढ़ाई में कुछ खास रूचि नहीं होती लेकिन करियर में आगे बढ़ने के लिए आपकी शिक्षा बहुत अहमियत रखती है. आज हम आपको कुछ ऐसे ही खास टिप्स बताने जा रहें हैं जिन्हें आपको रोज फॉलो करना है अर्थात यदि आप इन टिप्स को अपने रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाते हैं तो यकीन मानिये कि आपकी रूचि पढ़ाई के तरफ धीरे-धीरे शत प्रतिशत बढ़ने लगेगी.
1.पढ़ने के लिए टाइम टेबल ज़रूर बनाये:
जब आप स्कुल जाते हैं तो वहाँ आपको टीचर कक्षा में पढ़ाने आते हैं. उनकी एक समय सारणी होता है जिसे हम टाइम टेबल भी कहते हैं. इस समय सरणी के अनुसार ही वह पढ़ाया करते हैं. अर्थात उसी टाइम टेबल के अन्दर आप अपने टीचर से रोज़ाना पढ़ते हैं तथा आप उस समय सरणी के बिलकुल अनुकूल हो चुके रहते हैं ठीक इसी प्रकार आपको भी अपने स्टडी के लिए एक समय सरणी बनाना है और इसी समय सारणी को आपको रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाना है जब आप एक टाइम टेबल को अपने डेली रुटीन में फॉलो करने लगेंगे तो आपको इसके कई लाभ दिखेंगे.
सबसे अहम बात जो आपको ध्यान रखना है वह यह है कि शुरुवात में आपको ज्यादा देर तक पढ़ाई नहीं करनी है क्यूंकि अभी आपको पढ़ाई में कुछ खास रूचि नहीं होती है और आपने अभी-अभी पढ़ने के लिए खुद को तैयार किया है तो आपको शुरुवात में एक दिन में सिर्फ 1 या 2 घंटे पढ़ना है ऐसा करने से आपका पढ़ाई में मन लगने लगेगा, धीरे-धीरे आप इस समय अवधि को बढ़ाना शुरू करें लेकिन याद रखें शुरुवात में आपको ये गलती नहीं करनी जो अधिकतर छात्र करते हैं, वे शुरुवात से ही 4-5 घंटे पढ़ने लग जाते हैं जबकी आपको इतने देर तक पढ़ने की आदत नहीं है फिर भी आप पढ़ने की कोशिश में लगे रहते हैं  अर्थात ऐसे में आपको कुछ समझ नहीं आएगा और आपने जो पढ़ा है वो भी कुछ हद तक व्यर्थ जायेगा.
टाइम टेबल बना कर पढ़ने के फायदे :
1. जब आप टाइम टेबल बना कर पढेंगे तो आपको पता होगा की किस समय क्या पढ़ना है.
2. टाइम को मैनेज कर पाएंगे
2.ग्रुप स्टडी पर ज़ोर दें:
अगर आपको पढ़ाई करने का बिलकुल भी मन नहीं करता है तो आप ग्रुप स्टडी यानि की अपने दोस्तों और क्लास मेट के साथ बैठ कर पढ़ने की कोशिश करें ऐसा करने से जब आप पढ़ने बैठेंगे तो आप बोर नहीं होगे क्योंकी आपके साथ आपके क्लास मेट अर्थात दोस्त होंगे. जब हम ग्रुप स्टडी करते हैं तो कई बार दोस्तों को कोई टॉपिक समझाने में खुद के भी उस टॉपिक से जुड़े प्रश्न हल हो जाते हैं. साथ ही साथ यदि आपको कोई टॉपिक कक्षा में ठीक समझ नहीं आया या किसी कारण-वश आप कक्षा में नहीं थे तो वह टॉपिक आप बड़ी आसानी से अपने दोस्त से समझ सकते हैं. ग्रुप स्टडी से भी आपको कई फायदे हैं.
ग्रुप स्टडी करने के फायदे:
1.पढ़ते वक्त कभी बोर नहीं होंगे.
2. जल्दी समझ में आएगा.
3. प्रॉब्लम शेयर और डिसकस कर सकते हैं.
3.हमेशा नोट्स बना कर पढ़ें:
जब भी आप पढ़ने बैठें तो याद रखें जो भी आपने पढ़ा है उसके नोट्स भी तैयार करते जाएँ. आपके पढ़े हुवे टॉपिक के सभी पॉइंट्स जब आप अपने नोट्स में लिखते हैं तो वह और ज्यादा अच्छी तरह आपको याद रहता है अर्थात यही स्टडी नोट्स आपको एग्जाम के समय काफी मददगार साबित होंगे. अगर आप बाद में पढ़े हुवे टॉपिक से कुछ भूल जाते हैं तो आप अपने बनाये नोट्स से देख कर आसानी से समझ सकते हैं और इससे आप पढ़े हुवे टॉपिक को कभी भी आसानी से दोहरा सकते हैं.
नोट्स बना कर पढ़ने के फायदे:
1. रिवीजन के लिए बेस्ट होता है.
2. एग्जाम में मदद करता है.
3. टाइम बचाता है.
4.पढ़ाई के लिए सही जगह का चुनाव:
अगर आप घर में पढ़ने के लिए एक फिक्स जगह का चुनाव कर लें तो ये आपके लिए बेस्ट होगा लेकिन वह जगह ऐसी होनी चाहिए जहाँ आपको कोई डिस्टर्ब न करे. जहाँ आप इत्मिनान से पढ़ सकें. यदि आप रोज अपने पढ़ने की जगह बदलते रहते हैं तो इससे आपको पढ़ने का मन नहीं करेगा. क्यूंकि अलग-अलग जगह पर पढ़ाई करने के कारण आपको अधिकतर समय कुछ न कुछ काम से उठना पड़ेगा. जगह सुनिश्चित रहने पर ऐसी परेशानी का सामना कम करना पड़ता है और आप ज्यादा एकाग्रता के साथ पढ़ाई कर सकेंगे.

5.पढ़ाई का सारा सामान पढ़ते वक्त अपने पास रखें:
जब भी आप पढ़ने के लिए बैठें तो उससे पहले आपको पढ़ाई के लिए जीन चीजों की आवश्यकता है, जैसे की किताब, कॉपी, पेन, पेंसिल, पानी इत्यादि सब लेकर पढ़ने बैठें. क्यूंकि इससे आपको बार-बार चीजों के लिए उठने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. दरअसल आप जितनी बार पढ़ते समय किसी भी प्रकार के काम के लिए उठेंगे उतनी बार आपको वापस से पढ़ाई शुरू करने में एकाग्रता की ज़रूरत पड़ेगी, जिस कारण कई बार छात्र बोर होकर पढ़ना ही नहीं चाहते हैं.

निष्कर्ष:

तो ये थे कुछ ख़ास टिप्स जिन्हें यदि छात्र अपने दिनचर्या में अपनाए, जैसे की पढ़ने के लिए अपना एक टाइम टेबल बनाना, ग्रुप स्टडी, नोट्स बनाना, पढ़ाई के लिए एक सही जगह का चुनाव करना, रोज उसी जगह पर पढ़ने की कोशिश करना, पढ़ने का सारा सामान साथ रखना इत्यादि. ये सभी टिप्स आपके लिए बहुत मददगार साबित होंगी. 
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दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में प्रवेश के फायदे और नुकसान | ओपन लर्निंग स्कूल (डीयू SOL)

दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में प्रवेश के फायदे और नुकसान | ओपन लर्निंग स्कूल (डीयू SOL)
Things to Know before DU SOL Admissions
SOL स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू SOL)को दर्शाती है. SOL के तहत, छात्रों को DU के नियमित छात्रों जैसी कक्षाओं में भाग लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. SOL छात्र अपने आवंटित अध्ययन केन्द्रों पर केवल सप्ताहांत (weekend) पर क्लासेज ले सकते हैं. DU SOL उन छात्रों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो किसी कारण वश डीयू या किसी अन्य नियमित कॉलेज या विश्वविद्यालय के नियमित डिग्री में प्रवेश नहीं ले सके.
इस लेख में, हम डीयू स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में चर्चा करेंगे अर्थात जो छात्र डिस्टेंस लर्निंग में उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं वे इन कारकों पर विचार कर अपना करियर चुनाव कर सकते हैं.
तो आइये पहले जानते हैं कि ओपन लर्निंग स्कूल (डीयू SOL) के फायदे क्या हैं:
1. अतिरिक्त समय का सही उपयोग: जहां नियमित डिग्री के छात्र रेगुलर क्लास, एग्जाम, प्रोजेक्ट्स में व्यस्त रहते हैं वहीँ SOL छात्र productive चीजों में शामिल होने के लिए अपना समय उपयोग कर सकते हैं जैसे सीए(CA), सीएस(CS) जैसे पेशेवर पाठ्यक्रमों में प्रवेश करना, एसएससी(SSC), डिफेन्स, बैंकिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी आदि. आम तौर पर, सरकारी नौकरियों की तैयारी में लगे  उम्मीदवार डिस्टेंस मोड में डिग्री हासिल करना ज्यादा तर पसंद करते हैं ताकि वह अपना बाकि का समय अपनी तैयारी पर दे सकें.
2. स्व-मूल्यांकन(Self Appraisal): डिस्टेंस मोड में स्नातक की डिग्री कर रहे छात्रों को परीक्षाओं और असाइनमेंट के लिए खुद ही अपनी तैयारी पर ध्यान देना पड़ता है. वे अध्ययन केंद्रों (study centres) पर शिक्षकों से मार्गदर्शन तो ले सकते हैं लेकिन उनके पाठ्यक्रमों और परीक्षाओं को कवर करने के लिए स्वयं पर निर्भर होना बेहद ज़रूरी होता है जिस कारण वह नियमित छात्र की तरह किसी पर निर्भर नहीं होते अर्थात इससे उनके ज्ञान और शैक्षणिक कौशल में ही बढ़ोतरी होती है.
3. स्किल्स डेवलपमेंट पर फोकस: अतिरिक्त कौशल(additional skills) विकसित करने के लिए छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों या भाषा पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं. ये अतिरिक्त कौशल रोजगार के अवसरों और भविष्य में एक सफल कैरियर को बढ़ावा देगा.
4. attendence को लेकर कोई चिंता नहीं: जहाँ नियमित डिग्री के छात्रों को 75% उपस्थिति मानदंड पूरा करना आवश्यक होता है वहीँ SOL छात्रों के लिए attendence के ऐसे किसी मानदंड को पूरा करना ज़रूरी नहीं होता है. SOL छात्रों को किसी भी प्रकार की रेगुलर क्लास जाना आवश्यकता नहीं होता है तथा उनकी उपस्तिथि सप्ताहांत कक्षाओं में भी आवश्यक नहीं.
5. कोई द्वि-वार्षिक (bi-annual) परीक्षा नहीं: नियमित छात्रों की तरह DU SOL छात्रों को परीक्षाओं के लिए प्रत्येक सेमेस्टर में उपस्थित नहीं होना पड़ता है क्योंकि SOL की वार्षिक परीक्षा प्रक्रिया होती है.SOL स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू SOL)को दर्शाती है. SOL के तहत, छात्रों को DU के नियमितछात्रों जैसी कक्षाओं में भाग लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. SOL छात्र अपने आवंटित अध्ययन केन्द्रों पर केवल सप्ताहांत (weekend) पर क्लासेज ले सकते हैं. DU SOL उन छात्रों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो किसी कारण वश डीयू या किसी अन्य नियमित कॉलेज या विश्वविद्यालय के नियमित डिग्री में प्रवेश नहीं ले सके.
इस लेख में, हम डीयू स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में चर्चा करेंगे अर्थात जो छात्र डिस्टेंस लर्निंग में उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं वे इन कारकों पर विचार कर अपना करियर चुनाव कर सकते हैं.
तो आइये पहले जानते हैं कि ओपन लर्निंग स्कूल (डीयू SOL) के फायदे क्या हैं:
1. अतिरिक्त समय का सही उपयोग: जहां नियमित डिग्री के छात्र रेगुलर क्लास, एग्जाम, प्रोजेक्ट्स में व्यस्त रहते हैं वहीँ SOL छात्र productive चीजों में शामिल होने के लिए अपना समय उपयोग कर सकते हैं जैसे सीए(CA), सीएस(CS) जैसे पेशेवर पाठ्यक्रमों में प्रवेश करना, एसएससी(SSC), डिफेन्स, बैंकिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी आदि. आम तौर पर, सरकारी नौकरियों की तैयारी में लगे  उम्मीदवार डिस्टेंस मोड में डिग्री हासिल करना ज्यादा तर पसंद करते हैं ताकि वह अपना बाकि का समय अपनी तैयारी पर दे सकें.
2. स्व-मूल्यांकन(Self Appraisal): डिस्टेंस मोड में स्नातक की डिग्री कर रहे छात्रों को परीक्षाओं और असाइनमेंट के लिए खुद ही अपनी तैयारी पर ध्यान देना पड़ता है. वे अध्ययन केंद्रों (study centres) पर शिक्षकों से मार्गदर्शन तो ले सकते हैं लेकिन उनके पाठ्यक्रमों और परीक्षाओं को कवर करने के लिए स्वयं पर निर्भर होना बेहद ज़रूरी होता है जिस कारण वह नियमित छात्र की तरह किसी पर निर्भर नहीं होते अर्थात इससे उनके ज्ञान और शैक्षणिक कौशल में ही बढ़ोतरी होती है.
3. स्किल्स डेवलपमेंट पर फोकस: अतिरिक्त कौशल(additional skills) विकसित करने के लिए छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों या भाषा पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं. ये अतिरिक्त कौशल रोजगार के अवसरों और भविष्य में एक सफल कैरियर को बढ़ावा देगा.
4. attendence को लेकर कोई चिंता नहीं: जहाँ नियमित डिग्री के छात्रों को 75% उपस्थिति मानदंड पूरा करना आवश्यक होता है वहीँ SOL छात्रों के लिए attendence के ऐसे किसी मानदंड को पूरा करना ज़रूरी नहीं होता है. SOL छात्रों को किसी भी प्रकार की रेगुलर क्लास जाना आवश्यकता नहीं होता है तथा उनकी उपस्तिथि सप्ताहांत कक्षाओं में भी आवश्यक नहीं.
5. कोई द्वि-वार्षिक (bi-annual) परीक्षा नहीं: नियमित छात्रों की तरह DU SOL छात्रों को परीक्षाओं के लिए प्रत्येक सेमेस्टर में उपस्थित नहीं होना पड़ता है क्योंकि SOL की वार्षिक परीक्षा प्रक्रिया होती है.
What Is Nios?
In this video we will discuss about National School of Open Schooling (NIOS) and more about that who has started the NIOS, What is purpose behind NIOS?
6. डिग्री मान्यता नियमित पाठ्यक्रम के बराबर: इन दिनों, किसी भी इंटरव्यू के दौरान नियोक्ता यह नहीं देखते हैं कि छात्र नियमित डिग्री से पास है या डिस्टेंस लर्निंग से छात्र ने अपनी पढ़ाई पूरी की है. इंटरव्यू के दौरान छात्र के शैक्षिक रिकॉर्ड, योग्यता तथा उनके स्किल्स के बलबूते पर न्युक्ति होती है.
7. कक्षा 12 में कम प्रतिशत होने पर भी समय की बचत: दिल्ली विश्वविद्यालय में नियमित डिग्री कोर्स में दाखिला लेने के लिए, छात्रों को कटऑफ के सभी मानदंडों को पूरा करना पड़ता है और आवेदकों की बड़ी संख्या के कारण, हर साल कट ऑफ वास्तव में उच्च स्तर पर जाता है ऐसे में छात्रों को अपना साल बर्बाद भी करना पड़ जाता है लेकिन SOL में इस तरह की किसी परेशानी का सामना छात्रों को नहीं करना पड़ता है. वह बड़े आसानी से SOL में दाखिला ले आगे की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं.
स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के नुकसान:
1. कोई नियमित कॉलेज लाइफ नहीं: डिस्टेंस डिग्री में डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को नियमित कॉलेज जीवन का आनंद लेने का मौका नहीं मिलता है. वे कॉलेज के इवेंट्स, वार्षिक उत्सव या नियमित डिग्री छात्रों की तरह कॉलेज में होने वाले अन्य गतिविधियों में भाग लेने में सक्षम नहीं हो पाते हैं.
2. कोई सलाहकार नहीं: SOL छात्रों को नियमित छात्रों की तुलना में कॉलेज संकाय सदस्यों से मदद नहीं मिल पाती है अर्थात उन्हें अपने acadmics से जुड़े सभी चीजों के लिए खुद पर ही निर्भर रहना पड़ता है.
3. कैरियर मार्ग का आभाव: नियमित छात्र कॉलेज में पारस्परिक कौशल (interpersonal skills) आसानी से  विकसित कर सकते हैं क्योंकि वे सहपाठियों, संकाय और कोल्लेगे में होने वाले अन्य गतिविधियों में भाग लेते रहते हैं. जबकि SOL के छात्र इस प्रकार की उपलब्धियों से वंचित रहते हैं.
4. बेरोजगारी की संभावना: जहां नियमित डिग्री के छात्रों को असीमित अवसर मिलते हैं वहीँ डिस्टेंस लर्निंग के छात्रों ने यदि उच्च शिक्षा को प्राप्त कर ली है लेकिन उन्हें कोई व्यावसायिक कौशल की कोई जानकारी नहीं है तो उनके रोजगार की संभावनाएं काफी सीमित हो जाती है.
निष्कर्ष:जो छात्र DU SOL से हायर एजुकेशन प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले उपर्युक्त कारकों पर विचार करना ज़रूर चाहिए तथा इन कारकों को ध्यान में रखते हुवे अपने सुविधा के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए.
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Solve Any Numerical in Just 5 Minutes follow Seven Steps

Solve Any Numerical in Just 5 Minutes follow Seven Steps

How to Solve Difficult Numerical Problems

प्रतियोगी परीक्षा और बोर्ड परीक्षा में अक्सर विद्यार्थियों को न्यूमेरिकल प्रश्नो से दो चार होना पड़ता है l  न्यूमेरिकल सवालों को हल करने के लिए ज्ञान और कौशल दोनों की ज़रूरत पड़ती है पर इन प्रश्नों को अगर सही तरीके से हल न किया जाए तो भी उत्तर गलत निकल सकता है जिसका नतीजा समय की बर्बादी और एग्जाम में कम स्कोर होता है l अक्सर ऐसा एग्जाम में होता है कि विद्यार्थी को सब कुछ आता है फिर भी वह सही उत्तर नहीं निकाल पाता l इस समस्या का सबसे बड़ा कारण होता है प्रश्न को गलत तरीके से हल करना l
गर न्यूमेरिकल प्रश्नों को हल करने के लिए विद्यार्थियों को दिक्कत आए तो उन्हें हतोत्साह नहीं होना चाहिए क्योंकि यह बहुत आम बात है और यह समस्या निरंतर अभ्यास के माध्यम से ही दूर होगी l आज हम इस आर्टिकल से जानेंगे कि किसी भी न्यूमेरिकल प्रश्न को हल करने का सबसे सही तरीका क्या होता है
1 # सवाल को बिना अच्छी तरह समझे हल करना न शुरू करें
बहुत से छात्रों की यह आदत होती है कि वह सवाल को थोड़ा सा पढ़ते है और अगर उन्हें महसूस होता है कि यह पाठ्यपुस्तक का सवाल है तो वह उस सवाल को तुरंत हल करना चालू कर देते हैं l यह करना बहुत ही गलत है, सबसे पहले पूरा सवाल पढ़ना चाहिए और उसके बाद ही सवाल को हल करना शुरू करना चाहिए l
सवाल में क्या दिया गया है और क्या-क्या पुछा गया है, इन सब बातों को समझे बिना सवाल हल करने पर उत्तर गलत निकलने की संभावना काफी अधिक रहती है l
भौतिकी जैसे विषयों में तो कभी-कभी यूनिट्स में साधारण बदलाव करके पुराना प्रश्न पूछ लिया जाता और ऐसे प्रश्न वहीँ विद्यार्थी गलत करते हैं जो जल्दबाज़ी में बिना ठीक से पढ़े प्रश्न हल करने की कोशिश करते हैं l
2 # प्रश्न में दिए गए महत्वपूर्ण डाटा को हाईलाइट करें या फिर एक जगह लिखें
न्यूमेरिकल प्रश्न को पढ़ते समय हमेशा महत्वपूर्ण कीवर्ड और डाटा को हाईलाइट करना चाहिए l आप चाहे तो कीवर्ड पर स्पेशल सिंबल भी बना सकते है l प्रश्न में क्या दिया गया है और क्या पूछा गया है यह प्रश्न पढ़ते समय ही आपको हाईलाइट कर लेना चाहिए l विज्ञान जैसे विषयों में फिजिकल क्वान्टिटीज़ और उनकी यूनिट्स पर खास ध्यान देना चाहिए l उत्तर जिस यूनिट में निकालना हो कोशिश करें कि सभी फिजिकल क्वान्टिटीज़ की यूनिट्स भी वहीँ हो l
3 # एक रफ़ डायग्राम बनाएं
प्रश्न की ज़रूरत के हिसाब से हमे उसका रफ़ डायग्राम ज़रूर बनाना चाहिए l अगर ऑप्टिक्स से जुड़ा हुआ सवाल हो तो रे डायग्राम बनाए और अगर थर्मोडायनमिक्स से जुड़ा सवाल हो तो इंडिकेटर डायग्राम बनाएं l बोर्ड परीक्षा में तो डायग्राम के भी नंबर होते है, मगर प्रतियोगी परीक्षा में आप चाहे तो अपनी समझ के लिए एक रफ़ डायग्राम बना सकते हैं l
4 # प्रश्न में इस्तेमाल होने वाले सिद्धांतों और अवधारणाओं को पहचानें
बोर्ड परीक्षा में ज़्यादातर सीधे सवाल पूछे जाते हैं जिनमे डायरेक्ट फॉर्मूला अप्लाई हो जाता है l वहीँ दूसरी जगह JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षा में ऐसे प्रश्न पूछें जातें हैं जिन्हे हल करने के लिए दो या दो से ज़्यादा कांसेप्ट की जरूरत होती है l इसलिए प्रश्न में इस्तेमाल होने वाले सभी कॉन्सेप्ट्स को पहचानें l 
5 # डाटा को मैथमेटिकल इक्वेशन्स में परिवर्तित करें
प्रश्न में दिए गए महत्वपूर्ण डाटा निकलने के बाद और प्रश्न में इस्तेमाल होने वाले सिद्धांतों और अवधारणाओं को पहचानने के बाद इन सबको मैथमेटिकल इक्वेशन्स में परिवर्तित करें l CBSE जैसे बोर्ड एग्जाम में ये इक्वेशन्स आसान हो सकती है मगर JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षा में ये इक्वेशन्स उलझी हुई होती हैं l इसलिए इक्वेशन्स बहुत सावधानी से बनानी चाहिए l
6 # मैथमेटिकल इक्वेशन्स में वैल्यू रखें
मैथमेटिकल इक्वेशन्स बनाने के बाद उसमे सावधानी पूर्वक वैल्यू रखें l वैल्यू रखते समय उनकी यूनिट्स का खास ध्यान रखें l अक्सर छात्र फिजिकल क्वॉन्टिटीज़ की वैल्यू रखते समय यूनिट्स का ध्यान नहीं देते और उनका उत्तर गलत हो जाता है l प्रश्न में कभी-कभी किसी खास यूनिट में उत्तर पूछा जाता है इसलिए इस बात का भी ध्यान रखें l
7 # अंतिम उत्तर को फिर से जांचे
अंत में अगर आपके पास समय हो तो एक बार फिर से अपने उत्तर के हर एक स्टेप की जाँच करें l हो सकता है सवाल हल करते वक़्त अपने गड़ना करने में कोई गलती न कर दी हो l अंत में उत्तर लिखते वक़्त यह भी ध्यान रखें कि प्रश्न के उत्तर की यूनिट भी सही हो और जो प्रश्न में पुछा गया है उसके अनुसार हो l
निष्कर्ष:
प्रारंभ में आपको लगेगा की यह तरीका बहुत मुश्किल है, मगर धीरे-धीरे अभ्यास के बाद आपको यह तरीका आसान लगने लगेगा  और आप चुटकियों में किसी भी सवाल को हल कर लेंगे l
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